मैं भारतीय रेलों के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के इस प्रमुख संस्थान का हिस्सा बनने का अवसर पाकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। यह संस्थान ज्ञान का केंद्र है।
मैं ज्ञान से संबंधित दो संस्कृत श्लोक उद्धृत करना चाहूंगा;
नास्ति विद्यासमो बन्धुर्नास्ति विद्यासमः सुहृत् ।।
नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम् ॥
अर्थात, “विद्या जैसा बंधु नहीं, विद्या जैसा मित्र नहीं, विद्या जैसा अन्य कोई धन या सुख नहीं है।“
और यह संस्थान रेल में सिविल इंजीनियरों को ज्ञान प्रदान करने / ज्ञान को और अधिक तरोताजा करने जैसी बहुमूल्य सेवाएं प्रदान कर रहा है।
एक अन्य संस्कृत श्लोक इस प्रकार है
आचार्यात् पादमादत्ते, पादं शिष्यः स्वमेधया ।
पादं सब्रह्मचारिभ्यः,पादं कालक्रमेण च ॥
तात्पर्य है कि शिक्षा चार माध्यमों से प्राप्त की जाती है : इसमें एक चौथाई हिस्सा शिक्षकों के माध्यम से प्राप्त होता है, एक चौथाई हिस्सा छात्र की अपनी बुद्धिमत्ता से प्राप्त होता है, तीसरा चौथाई हिस्सा साझा करने और सहपाठियों से प्राप्त होता है और अंतिम चौथाई हिस्सा अनुभव/समय बीतने के साथ/जो सीखा गया है उसके अनुप्रयोग से प्राप्त होता है।
यह संस्थान शिक्षा प्राप्ति के लगभग 50% आवश्यकताओं का ध्यान रख रहा है, अर्थात परिवीक्षार्थियों का प्रशिक्षण तथा उन्हें एक-दूसरे के साथ ज्ञान साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
रेलवे में सिविल इंजीनियर्स न केवल बड़ी संरचनाओं के निर्माता हैं, बल्कि रेलपथ, पुल, बिल्डिंग आदि परिसंपत्तियों के अनुरक्षण के कार्य भी करते हैं। निर्माण एवं अनुरक्षण के इस क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन नित-नई तकनीकों एवं विकासों का सृजन हो रहा हैं। परिणामस्वरूप .फील्ड इंजीनियरों के लिए इस तेजी से बदलने वाले युग के साथ स्वयं को अद्यतन रखना कठीन कार्य है, संस्थान उनकी इस कमी को पूरा करता है।
इरिसेन वेब-आधारित ‘फ्री ई-लर्निंग मॉड्यूल’ भी प्रदान कर रहा है, जो रेलवे में सभी सिविल इंजीनियरों के लिए दूरस्थ शिक्षा सुविधा का एक महत्वपूर्ण माध्यम उपलब्ध कराता है।
यह ठीक ही कहा गया है कि “ज्ञान ही शक्ति है” और यह संस्थान जो ज्ञान प्रदान करता है, वह न केवल शिक्षार्थियों प्रतिबद्धता और समर्पण की भावना विकसित करने में सहायक होता है, बल्कि उन्हें बेहतर करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है।
इस संस्थान के प्रमुख के रूप में मेरा प्रयास होगा कि मैं इस प्रमुख संस्थान को गौरव के नए स्तरों पर ले जाने में अपना योगदान दूं।
एस के झा
महानिदेशक, इरिसेन